कळायचे बंदचि होत पूर्ण
क्रिस् गेल कालासम कृष्णवर्ण
केले तयें बॉलर हो विवर्ण
ब्याटिंग त्याची पुरते सुवर्ण
आहेत साचे जरि लोक फार
आय्पीलची कीर्त पहा अपार
त्यातेहि हातोडिमाणूस येक
क्रिस गेल आख्यान सांगेन येक
पुण्यासवे खेळले बंगळूर
ब्याटिंग घेई, रन काढि फार
मिसाइले वर्षती जैं अपार
छक्के तसे मारितो फारफार
मारोनिया सिक्सर सर्व ग्रौंडी
केली तये फिल्डरें कानकोंडी
मागेपुढे ऑफ व ऑन बौंड्री
लोकांचिया गेलचि नाम तोंडी
ब्याटिंग जेव्हा करि गेल साचा
पळे कधी जास्त न तो फुकाचा
त्यासाठी हा सिक्सरू खेळ साचा
जो ऐंशि वा शंभर मीटरांचा
आरंभि इब्राहिमखान जैसा
गिलच्यांस जो मारि पहा अपैसा
तैं गेलने तीस चेंडूंत फक्त
हो ठोकली सेंचुरी पूर्ण सक्त
त्रेसष्ट धावा – द्वि-शतां रनांस
यासाठिची जी षटकेहि वीस
त्यांतेही दोनशे उणे पंचवीस
मारे पहा एकटा गेल खवीस
वन्डे असो वा विस ओव्हरींचे
पैं शॉट याचे बहुता परींचे
फाष्टर् असो वा स्पिनही असो तो
चेंडू सदाचा नभि धाडतो तो
ब्याटिंग जेव्हा करि गेल साचा
तैं प्रेक्षकू होतसे फील्डराचा
कंपौंडमागोनि घेवोनि कॅचां
हो फील्डरू होतसे प्रेक्षकाचा
सचिन जिमि शतक पर |
मॅक्ग्राथ मिडल स्टंप पर |
त्यों तडीपार सिक्सर पर |
क्रिस गेल राज है ||
Good one !
Thanks 🙂
mastach
thanks 🙂
मस्तच ….. कसं काय सुचतं असं ….. 😉
thanks! Gayle khelala he baghun tar nakkich suchel asa 🙂
Nikhil ji, I can’t read marathi but this post is wonderful(whatever i could understand). Can you please translate in hindi? I hope many non-marathi bloggers will like it if they could read it in hindi or a language they are aquainted with.
regards
संजयजी, ब्लॉग पर हार्दिक स्वागत और प्रशंसा के लिए बहुत बहुत आभार 🙂 दुर्भाग्यवश मेरी हिंदी उतनी अच्छी नही है कि मैं इस कविता का भाषांतर हिंदी में कर सकूं | लेकिन जितना हो सके उतना कभी जरूर करूंगा 🙂
धन्यवाद निखिल जी।
प्रत्युत्तर से तो आपकी हिंदी के बारे में ऐसा नहीं लगता 🙂 खैर, तब तक दूसरा सुझाव। इसे मूल रूप में ही रहने दें और हर पंक्ति के सामने उसका हिन्दी या इंग्लिश में अर्थ लिख दीजिये। कविता की गेयता भी बनी रहेगी और अर्थ भी गैर मराठियों पर स्पष्ट हो जायेगा।
आपने कभी करने को कहा है, मानता हूँ कि ये फ़ोकट का खटकर्म दिख सकता है लेकिन इस रचना का असली आनंद इसी वक्त है जब क्रिस गेल की आतिशी पारी की याद ताजा है।
बहरहाल कविता वाकई मजेदार लगी।
bahut dhanyawad ji 🙂
apne kaha wah kabhi jarur karunga-pakka 🙂
शेवटचे कडवे फारच आवडले 🙂
thanks a lot 🙂